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Kavita Kosh से
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|रचनाकार=ओसिप मंदेलश्ताम
|अनुवादक=अनिल जनविजय
|संग्रह=तेरे क़दमों का संगीत / ओसिप मंदेलश्ताम
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[[Category:रूसी भाषा]]
<poem>मुझे दिया गया शरीर, मैं क्या करूँ इसका?
जितना बेजोड़ यह मेरा है और भला किसका ?
इस शान्त ख़ुशी, इन साँसों सांसों और जीवन के लिए
किसका शुक्रिया अदा करूँ मैं, बताओ प्रिय ?
मैं ख़ुद ही माली हूँ और मैं ही तो हूँ बग़ीचा,
दुनिया के इस अन्धेरे में, सिर्फ़ मैं ही नहीं हूँ रीता ।
इस काँच पर ख़ुदे हुए हैं कुछ बेलबूटे ऐसे,
पहचानना कठिन है जिन्हें पिछले कुछ समय से ।
(रचनाकाल : 1909)
За радость тихую дышать и жить
Кого, скажите, мне благодарить?
Запечатлеется на нем узор,
Неузнаваемый с недавних пор.

