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चाह बलते
मिल जाने वाली माचिस, मुस्तैद
एक मुंहलगी मुँहलगी बीड़ी सुलगाने को
एहतियात से!
जला डालीं बुझा डालीं
गुजरात में, पिछले दिनों
आदमियों को जिंदा ज़िन्दा जलाने में
आदमीयत का मुर्दा जलाने में?
जब माचिस मिलने भी लगेगी इफरात, जल्द ही
अगरबत्तियां जलाते
क्या हमारी तीलियों की लौ कांपेगी काँपेगी नहीं
ताप से अधिक पश्चात्ताप से?!
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