भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अच्छा ये बताओ तुम्हारे अलावा ये बात / पवन करण

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अच्छा ये बताओ तुम्हारे अलावा ये बात
किस-किस को पता है कि मैं दलित हूँ
और अब ईश्वर हो गया हूँ,

क्या मेरी उसे पता है जिसे पाने के लिए
मैंने कितने पापड़ नहीं बेले, अंत में
इसी वज़ह से उसे गँवाना पड़ा मुझे,
शुरू-शुरू में जब मैं ईश्वर हुआ नया
वह एक दो बार आई भी मुझे पूजने
तब तक तो ठीक से ईश्वर में चेहरा
तब्दील भी नहीं हुआ था मेरा, मैंने चाहा
कम-से-कम एक बार तो मुझे देख ले
उसने आँख उठाकर देखा तक नहीं
सिर झुकाए हाथ जोड़े खड़ी रही
सिर झुकाए ही चली गई वापस

पता नहीं क्या माँग रही थी वह मुझसे
ईश्वर को कुछ सुनाई तो देता नहीं
मेरे हाथ में कुछ होता
तो सब उसकी इच्छा पूरी करने में
लगा देता, उसके लिए मेरी हालत
तुमसे ज़्यादा किसे पता होगी,
आँसू बहाते हुए जब मैं कहता निर्धन सही
सवर्ण होता, उसे पा तो लेता, तुम कहते
जात-पात तो ईश्वर की मर्ज़ी है

ईश्वर होकर मैंने देखा, जात-पात
किसी ईश्वर की मर्ज़ी नहीं,
किसी ईश्वर ने नहीं कहा
जात-पात अच्छी चीज़ है, ईश्वर तो
जात-पात के बारे में जानते तक नहीं
जब मैं नया-नया ईश्वर होकर पहुँचा
मुझसे किसी ने पूछा तक नहीं
मैं किस जात का हूँ, या तुम्हें किस ने
ईश्वर बना दिया, दलित भी कहीं
ईश्वर होता है, चला छुओ मत हमें

तुम तीनों तो दारू पीना ही भूल गए
और मैं हूँ कि गटागट पिए जा रहा हूँ
लगता है तुम्हारे हिस्से की भी आज मैं ही
पी जाऊँगा, लाओ सिगरेट का कश लगवाओ,
नहीं-नहीं, ऐसा करो नई सिगरेट दो मुझे
आज अकेले मैं पूरी सिगरेट पिऊँगा
दोस्त होकर तुमने मुझसे जात-पात
नहीं की तो क्या तुम्हारे घर के लोगों ने
मुझसे भेदभाव करने का कोई मौक़ा
नहीं छोड़ा तुम्हारे लड़ने के बाद भी,
वे चाहते थे जब मैं तुम्हारे घर आऊँ
नहीं माँगूँ उनसे पीने के लिए पानी
कभी खाने की नौबत आ गई तो
उन्होंने ये जताने का मौक़ा नहीं चूका
मैं उनके यहाँ, साथ बैठकर खा रहा हूँ
उनकी कोशिश रही, हो सके तो मैं
अपनी झूठी थाली रखूँ धोकर,

उन्हें मेरा ईश्वर होना पता चले आज भी
वे मुझसे मेरे पिता के नाम से
फलाँ का लड़का कहकर न पुकारें
फलां जात का ईश्वर कहकर बुलाएँ
जैसे कोई बाप ही न हो मेरा
मेरी छोटी जाति ही हो मेरा बाप
अपने नाम पर जात-पात देखकर,
मेरी रीढ़ में भी होने लगता है कंपन
ईश्वर हुआ तो कम से कम मेरे अंदर
चमत्कार करने की इतनी क्षमता तो
चाहिए थी होनी, पलक झपकते ही
ख़त्म कर देता इसे, किसी ईश्वर ने
बिना ताक़त इसे मिटाने की कोशिश
की तो ईश्वर का मिटना तय है,
जात-पात उसे ही मिटा डालेगी