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अत्याचारियों के स्मारकों पर धर्मलेख / संजय चतुर्वेदी

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उन्होंने कोई अच्छॆ काम नहीं किए थे ज़िन्दगी में
यह उन्हें पता था
और उन्हें भी
जिन्होंने किया उनका अन्तिम संस्कार
उन्हें पता था
शायद इन्सान उन्हें कभी माफ़ न कर सकें
पर उन्हें उम्मीद थी
इबारतें उन्हें माफ़ कर देंगी
और वे ऎसा पहले भी करती रही हैं।