भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अन्न-पूजा / जयप्रकाश मानस

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अन्न-पूजा
जो खेत नहीं जोत सकते
जो बीज नहीं बो सकते
जो रतजगा नहीं कर सकते
जो खलिहान की उदासी नहीं देख सकते
उनकी थालियों के इर्द-गिर्द
अगर
महक रहा है अन्न
तो यह
उनकी चुकायी क़ीमत की बदौलत नहीं
सिर्फ़ एक उसकी कृपा है
जो अन्न की पूजा करता है