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अभी / सुमति बूधन

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कोई अभिशाप नहीं हूँ मैं
कोई पाप नहीं हूं मैं
मुझे मुक्त करने का ढोंग न रचो,
मेरे उद्धार का कोई आधार न रखो
अपनी यातनाओं,
अपनी पीड़ाओं को गूँथकर
जीवन की सर्जनात्मकता
का वरदान
अभी बाकी है मुझ में ।