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अर्द्धनारीश्वर का जन्म / विनोद शर्मा

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अगर मानव-सभ्यता के इतिहास के पन्ने पलटे जाएं,
आदमी औरत के संबंधों
और उनसे जुड़ी असंख्य ग्रन्थियों की
जांच-पड़ताल पर नजर डाली जाए
तो यह निष्कर्ष निकलेगा-
प्यार या तथाकथित विवाह के बंधन में
बंध कर भी, अभी तक पुरुष
चाहे वह ईश्वर का अवतार
या पैगम्बर ही क्यों न हो?
स्त्री के रूप-रंग
नैन-नक्श
उसकी देह की भाषा
उसके सौन्दर्य और वैभव के महत्व
को ही समझ पाया है।

शायद यही वजह है
कि स्त्री को प्यार करने का दावा करने वाला
हर पुरुष स्त्री की देह को ही प्यार करता है
उस देह में रहने वाली स्त्री को नहीं।

जिस दिन पुरुष
स्त्री की देह
और उस देह में रहने वाली स्त्री के फर्क को,
उसकी देह की सुन्दरता और वैभव के बजाए
उस देह में रहने वाली स्त्री के
स्त्रीत्व के सौन्दर्य और
वैभव के महत्व को समझ जाएगा
उस दिन जन्म होगा अर्द्धनारीश्वर का।