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अविराम बज रही हैं ब्राजन स्वरों से / केदारनाथ अग्रवाल

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अविराम बज रही हैं ब्राजन स्वरों से

सघोष, काँसे की सरोष घंटियाँ

अविराम हताहत हो रहा है तमांध

अमोघ ओजस्वी स्वरों से हारता ।