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आँख उनसे मिली तो सजल हो गई / तारा सिंह

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आँख उनसे मिली तो सजल हो गई

प्यार बढने लगा तो गजल हो गई


रोज कहते हैं आऊँगा आते नहीं

उनके आने की सुनके विकल हो गई


ख्वाब में वो जब मेरे करीब आ गये

ख्वाब में छू लिया तो कँवल हो गई


फिर मोहब्बत की तोहमत मुझ पै लगी

मुझको ऐसा लगा बेदखल हो गई


वक्त का आईना है लवों के सिफर

लव पै मैं आई तो गंगाजल हो गई


'तारा' की शाइरी किसी का दिल हो गई

खुशबुओं से तर हर्फ फसल हो गई