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आँसुओं भरी आँखें / भावना कुँअर

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गहन दुःख
न देख सका मेरा
तो फूट पड़ा
साथी नीला आसमाँ
देने आ गए
सब मेरा ही साथ
चाहे प्रभात
खेत औ खलिहान
हों नन्हे पौधे
या फूलों की कतार।
भर ही गया
आँसू से लबालब
पूरा जहान।
धुँधला दिखे अब
सब कुछ ही।
आँसुओं भरी आँखें
रूँधा- सा गला
भारी हुआ था मन।
तभी आ गई
नन्हीं धूप किरण।
खुला आसमाँ
खिल गया मेरा भी
मुरझाया वो मन।