भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आओ ये ख़ामोशी तोड़ें आईने से बात करें / 'महताब' हैदर नक़वी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आओ ये ख़ामोशी तोड़ें आईने से बात करें
थोड़ी हैरत आँख में भर लें थोड़ी सी ख़ैरात करें

हिज्र ओ विसाल के रंग थे जितने तारीकी में डूब गए
तन्हाई के मंज़र में अब कौन सा कार-ए-हयात करें

देखो इस के बाद आएगी और अँधेरी काली रात
धूप के इन टुकड़ों को चुन लें जम्मा यही ज़र्रात करें

प्यासों के झुरमुट में हैं और इतना सोच रहे हैं हम
आँखों के इस बोझल-पन को कैसे नहर-ए-फ़ुरात करें

पानी पानी कहने वाले दरिया दरिया डूब गए
किस मुँह से साहिल वालों से तिश्ना-लबी की बात करें