भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आकाश मुक्त अछि हमरा लेल / नारायणजी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
दम फूलि रहल अछि हमर
हमर फेफड़ामे पहुँचि नहि रहल अदि
अपेक्षित ऑक्सीजन
अपन हँसी आ रूदन
अनुवादि क’ व्यक्त करबाक विवशता
दम फुला रहल अछि हमर

चौदहम शताब्दीक शौर्य-गीत
मंत्र-जाप जकाँ पढ़ब
मगन होइत रहब
पसिन नहि अछि हमरा
घूरि जाएब चौदहम शताब्दीमे
जँ किनसाइत भ’ सकए संभव
पसिन नहि अछि

जहर ओतेक नहि अछि हवामे
जतेक कहियो छल
आकाश मुक्त अछि हमरा लेल
जतेक कहियो नहि छल