भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आठ / डायरी के जन्मदिन / राजेन्द्र प्रसाद सिंह

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ज़िन्दगी का एक दिन भी
सहनशील विकास के
इतिहास से कम नहीं!
एक क्षण भी तो
नहीं एकांत!
बिंदु सारे
बन चुके हैं केंद्र;
कट रहीं
केवल परिधियाँ
दिशा-हीन
अशांत.........!

[१९५०]