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आपके प्रेम से अलग / अनिल गंगल

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आपके प्रेम से अलग
मुझे चाहिए ढेर सारा प्यार
नहीं चाहिए मुझे
एक औरत द्वारा पुरुष को दिया गया माँसल स्पर्श
नहीं चाहिए मुझे
उर्वशियों और मेनकाओं के रिझाने वाले हाव-भाव
मुझे चाहिए प्यार
साथ-साथ गिट्टियाँ तोड़ते
साथ-साथ स्वप्न रचते
साथ-साथ ज़िन्दगी का सुन्दरतम चित्र खींचते
एक-दूसरे को दिया गया समूचा और अटूट प्यार
मुझे चाहिए
माँ की छाती में हुमकते दूध जितना प्यार
नाक सुड़कते नंग-धड़ंग धूल में सने बच्चे को देख
कालिखपुती औरत की आँखों में उतरा प्यार
मुझे चाहिए घोंसले के लिए तिनके बटोरती
चिड़िया जितना प्यार
गारे के तसले या ईंटें ढोते मज़दूर की
तनी हुई माँसपेशियों जितना प्यार
धूल-मिट्टी में सनी पेशानी से बहते पसीने जितना प्यार
थक कर चूर हाथों में थमी
सूखी रोटी, प्याज़ और मिर्च जितना प्यार
मुझे नहीं चाहिए टूटा हुआ ज़ंग खाया प्यार
मुझे नहीं चाहिए
परकोटों से घिरा सात पहरों में क़ैद रनिवासों का प्यार
मुझे चाहिए एकदम साबुत
सूरज की रोशनी में नहाया हुआ
पतझड़ में झड़े पत्तों से ढका
सावन की फुहारों में भीगता
उपजाऊ मिट्टी में सना खुला स्वच्छन्द प्यार
मुझे चाहिए दुनिया के सारे खेतों में फैली
हरियाली जितना प्यार
मुझे चाहिए दुनिया के तमाम विद्युत् केन्द्रों से
उपजी ऊर्जा जितना प्यार
मुझे चाहिए इतना विशाल और निश्छल प्यार
जितनी पृथ्वी
जितना समुद्र
जितनी भीतर की आग।