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आपने गिरवी रखे जो खेत वह बंजर तो दें / राकेश जोशी

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आपने गिरवी रखे जो खेत वह बंजर तो दें
और फ़सलों का हमें इक ख़्वाब ही सुंदर तो दें

ऑनलाइन ज़िंदगी है हर किसी की आजकल
ऑनलाइन ही सही पर बेघरों को घर तो दें

ख़ूब चिड़ियों को डराएँ, ख़ूब फेंकें जाल भी
 पर, उन्हें भी एक मौक़ा, आसमां और पर तो दें

योजनाएँ क्यों बनीं, कैसे बनीं, कबसे बनीं
आप चाहे कुछ भी सोचें पर कहा जो कर तो दें

आम लोगों ने बहुत मजबूर होकर आपको
चिट्ठियाँ लाखों लिखीं पर आप भी उत्तर तो दें

आपके बाज़ार में बिकते हैं अब भी आदमी
आदमी को आप कोई स्वाभिमानी सर तो दें