भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आप-2 / दुष्यन्त

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
आपकी ख़ुशबू
आपकी आवाज़
आपका अहसास

जैसे नए फूल हों
मौसम के

जो भर देते हैं निनाद
ज़िन्दगी में।

 
मूल राजस्थानी से अनुवाद- मदन गोपाल लढ़ा