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आम्रपाली / कोनहारा / भाग 3 / ज्वाला सांध्यपुष्प

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परहकऽ पतरी राजा रुकलन
सोच में परल सैन्य समाज।
सीमान पर भिरल सब जमान
एक्कर कि अब होए समाधान॥21॥

आगु पानी, हए पाछे खद्धा
राजा के हए गरम मिजाज।
बज्रनाभि सङ विचार करे उ
‘कोन घात से मरत अजात॥’22॥

राजा भेजलन चेतक के उ
मुझाबे ला अब लग्गल आग।
सोचु केन्ना रुक्कत वर्ग-संघर्ष
कइसे भागत भुत वर्षकार॥23॥

एगारह् खेलारी के बदला
दस्से गो से खेलत विशाल।
अजात के जौरे रहत सब्भे
आ बरहमा हए उ वर्षकार॥24॥

राजा सोचइत सुतलन कखनि
बज्रनाभि भागल शिविर दीस।
पंडुक पाँख पटककऽ कुहुके
सुरुज उग्गत लेबाबऽ शीश॥25॥

दिन चरह्ल तऽ अब सुरुज बमकल
समय इ युद्ध के लकचा गेल।
अंग, बंग, आँध्र, कलिङ देश के
सैनिक सऽ मग्गह में मिल गेल॥26॥

नइआ-उप्पर-नइआ गङा में
सतभइआ नाहित खड़ा उ।
उत्तर से बज्जी गरजे गङ सन्
तनले तीर, भिरले फँरा उ॥27॥

रङ देखकऽ खून के युद्ध में
दङ हए खूब उ मग्गहराज।
व्यूह बनबइअ सोच समझकऽ
कि बच्चल रहे ई सुन्दर ताज॥28॥

देतन आइ परीक्षा काप्यक
आ ई सेनापति बज्रनाभि।
इज्जत केन्ना बच्चत इ बज्जी के
सबके बता रहल अम्रपालि॥29॥

कवच शिरस्त्राण पहिन सैनिक के
अम्रपाली हए अब तइआर।
पुरुष भेष में धनुष लेकऽ उ
नइआ पर असगरे सवार॥30॥