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आरती / 4 / राजस्थानी

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गाय गवाड़ा गाय गवाड़ा से गोबर ल्यायो, थे तो पीली पोसरी जी।
गंगा जमना को नीर मंगाय थे तो द्यो न चोखुटी गवली जी।
माणक मोती माणक मोत्यां से चौक पुराय।
थे तो द्यो न बाजोट्या वेसना।
जठे बैठे-बैठे सुसरा जी रा जोध, थे तो करो न भूवा बाई आरत्यो।
सासू पूछ सासू पूछ बहूजी ने बात थे तो कांई जी ल्यायाजी आरत्यो।
हस्ती दीना हस्ती दीना मांडला री रात घुड़ला जी लूण उतार जी।
बहू झूठा बहू झूठाजी झूइ न बोल थांको चार टका तो आरत्यो।
सासू झूठा सासू झूठाजी झूठ न बोल म्हारो कित्ता रुपयां को आरत्यो।