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आर्यावर्त किस ओर / सुबोध सरकार / मुन्नी गुप्ता / अनिल पुष्कर

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आर्यावर्त असल में किस तरफ़ है
रास्ते पर बने दो तीर
इसका मतलब उस तरफ़
इसका मतलब इस तरफ़, इस तरफ़

विद्वान बन्धुजन
इधर आइए
            आर्यवर्त इस तरफ़ है
शव देह इधर गई है
किसकी शव देह ?

शकट* चल रहा है
उन्नीस शकट के साथ चले हैं युधिष्ठिर
एक सौ कुलीन ब्राह्मण
                         इधर आइए
आर्यावर्त इस तरफ़ है
लेकिन किसकी शव देह ?

याद नहीं
ब्रह्मपुत्र के दोनों तरफ जल उच्छवास में
तीन सौ इक्यासी लोग मारे गए थे
याद नहीं
               कलिंग नदी से उठ आई थी
उपजाति लड़कियों की नग्न मृतदेह !
                                          इधर आइए

आर्यावर्त इस तरफ़ है
सारे शकट गए हैं इसी रास्ते से होकर
खोई और पैसे पड़े हैं ।

“विद्वान बन्धुजन
इधर आइए
             अस्त्र विक्रेता
              इधर आइए
आकाश विज्ञानी
इधर आइए
             आप चाण्डाल
             आप आचार्य
इधर आइए
             आर्यावर्त इस तरफ़ है ।

मूल बाँग्ला से अनुवाद : मुन्नी गुप्ता और अनिल पुष्कर