भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आर्य महिला / ‘हरिऔध’

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
मुग्धा कर है राकानिशि कान्त।
सुरसरी का है पावन आप।
स्वेत सरसिज है परम प्रफुल्ल।
आर्य महिला का कीर्तिकलाप।1।
भाव से उसके हो भरपूर।
भाव मय बना जगत आगार।
गौरवों का उसके पग पूज।
गौरवित हुआ सकल संसार।2।

अंक में पल उसके बहुकाल।
सुजनता आँख सकी है खोल।
सीखकर उससे कल आलाप।
चित्ता ले सकी सभ्यता मोल।3।

भक्ति से छू उसका पदकंज।
उच्च हो पाया मनुज समाज।
सिध्दि उसने कर दी वह दान।
वार दें जिस पर सुरपुर राज।4।

वही है गुण गरिमा अवलंब।
ज्ञान का उससे हुआ विकास।
अधार पर उसके पाया देख।
मुक्ति का महा मनोहर हास।5।