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इक अलफ पढ़ो छुटकारा ए / बुल्ले शाह

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इक अलफ पढ़ो छुटकारा ए
इक अलफों दो तिन्न चार होए,
फेर लक्ख करोड़ हजार होए,
फेर ओत्थों बाझ शुमार होए,
इक अलफ दा नुक्ता न्यारा ए।

इक अलफ पढ़ो छुटकारा ए।
क्यों पढ़ना ऐं गड्ड किताबाँ दी,
क्यों चाना ऐं पंड अजाबाँ<ref>दुखों</ref> दी,
हुण होयों शकल जलादाँ दी,
अग्गे पैंडा मुशकल भारा ए।
इक अलफ पढ़ो छुटकारा ए।

बण हाफज़<ref>कुरान ज़बानी याद कर लेने वाला</ref> हिफज़<ref>ज़बानी याद</ref> कुरान करें,
पढ़ पढ़ के साफ ज़बान करें,
फिर नेआमताँ<ref>बखशिश, दात</ref> विच्च ध्यान करें,
मन फिरदा ज्यों हलकारा ए।
इक अलफ पढ़ो छुटकारा ए।

बुल्ला बी बोहड़ दा बोएआ सी,
ओह बिरछ वड्डा जाँ होएआ सी,
जद बिरछ ओह फानी होएआ सी,
फिर रैह गया बी अकारा ए।
इक अलफ पढ़ो छुटकारा ए।

शब्दार्थ
<references/>