भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

इन्तज़ार / राहुल झा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बहुत समय से
नहीं हुई बारिश...

सूने... तपते पहाड़ों के बीच
ठहरी हुई एक बेचैन नदी
इन्तज़ार में है...!