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इश्क में जब से दिवाना बन गया हूँ / अंजनी कुमार सुमन

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इश्क में जब से दिवाना बन गया हूँ
तल्ख तीरों का निशाना बन गया हूँ

फूल की क्यारी से क्या यारी निभायी
खुशबुओं का आशियाना बन गया हूँ

हर तरफ दुनियाँ नये बदलाव में है
मैं अलग था तो, पुराना बन गया हूँ

कुछ को मिट्टी से बना ढेला लगूँगा
क्या हुआ जो मैं खजाना बन गया हूँ।

इस तरह भी लोग तंज कसते हैं मुझपे
मैं ग़ज़ल का कारखाना बन गया हूँ