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इ डांडि कांठि रलि जब तलक / ओम बधानी

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इ डांडि कांठि रलि जब तलक
तेरि मेरि /मेरि तेरि
माया क गीत गालि तब तलक
इ डांडि कांठि रलि जब तलक

य सन्ता आज की नी जुगु की चलीं छ
किताबि खपि गिन खार्यों अजौं भि बचीं छ
जिकुड़्यौं हूक रालि जब तलक
इ डांडि कांठि रलि जब तलक
तेरि मेरि माया का गीत गालि तब तलक

रूप बदली गिन ,काया बदली ग्याई
जोनि बदली गिन,माया ज्यूंदि राई
दैब की रंचणा रलि जब तलक
इ डांडि कांठि रलि जब तलक
तेरि मेरि माया का गीत गालि तब तलक

अन्न भूख बणी,पाणि तीस बणी
आंखि उज्याळू बणी,माया रीस बणी
एक हैंका पुर्यौंला तब तलक
इ डांडि कांठि रलि जब तलक
तेरि मेरि माया का गीत गालि तब तलक

ज्वान मायादारू क आणा पखणौ मजी
दाना सयाणौ क,गाळि औळाणौ मजी
ज्यूंदा छौं ज्यूंदा रौंला तब तलक
इ डांडि कांठि रलि जब तलक
तेरि मेरि माया का गीत गालि तब तलक