भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उतार / कविता वाचक्नवी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उतार


नहीं सोता सूर्य
किसी लहर के
गर्भ में
दूर खड़ा
विहँसता है
व्याकुल उछाह
और
उतराव देखता।