भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उत्तरदायित्व / ब्रजेश कृष्ण

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उन्होंने तय कर लिया है
कि वे संस्कृति को बचा कर रहेंगे
वे देखेंगे कि कैसी हो कला
कैसा हो साहित्य
और कैसा रचा जाये इतिहास

उन्होंने सम्भाल ली है कमान
भाँजी जा रही हैं लाठियाँ
पैने किये जा रहे हैं
भाले गंडासे और बरछे
सावधान!
अब किसी को नहीं छोड़ा जायेगा
कौन है उधर सिर उठाते हुए-
‘सवाल करना मना है’ बता दो उसे

बता दो उसे
कि लाठी और भाले से
मारे जायेंगे लोग
मगर बचाई जायेगी कला
बचाई जायेगी संस्कृति
बचाया जायेगा इतिहास।