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उन दोउन कौ नैन मटक्का / अशोक अंजुम

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उन दोउन कौ नैन मटक्का
देखि कैं सिगरे हक्का बक्का

मन की आस डूबती जाबै
उड़ि गए बादर, सूखै मक्का

रोज बढ़ रई यों आबादी
जाम हर तरफ है रयौ चक्का

सब सिर फोडैं दीवाली पै
बापू लाये नाय पटक्का

आरक्षन कौ टोनिक पीकैं
सूखौ दे तगड़े कूँ धक्का

घर में हैं रोटीन के लाले
बैद कहै कै खाऔ मुनक्का

जी घबराबै सोचि-सोचि कैं
रस्सा चौं लाये हैं कक्का