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उम्र बस बढ़ती गयी पर जीना क्यों कम हो गया / उदय कामत

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उम्र बस बढ़ती गयी पर जीना क्यों कम हो गया
यार हैं कुछ कम नहीं, याराना क्यों कम हो गया

वो अदा, अंदाज़, इख़्लास-ओ-सलीक़ा अब कहाँ
शर्म आती तो है पर शर्माना क्यों कम हो गया

अब न गहराई रही रिश्तों में ना जज़्बात में
सब तआलुक रखते हैं, अपनाना क्यों कम हो गया

खेल था वह चील का, जज़्बा था बच्चों में अलग
काटते थे डोर सब, लहराना क्यों कम हो गया

या हुकूमत, या वह साक़ी, या वह वाइज़, दोस्तो
क्यों लगे हैं सब झुकाने, झुकना क्यों कम हो गया