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उल्लू क्यों बनाते हो जी / दिविक रमेश

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गुस्सा आ जाता है तो हम
कट्टी सबसे कर लेते हैं।
नहीं रहा जाता है तो हम
अब्बा भी झट कर लेते हैं।

कट्टी करते हॆं तो कैसे
सभी मनाने हमको आते।
अब्बा करते हॆं तो कैसे
गोदी में सब हमें उठाते।

शोर करें तो क्यों माँ कहती
आसमान सिर पे न उठाओ।
आसमान तो इतना भारी
कौन उठाता यह बतलाओ!

हम को छॊटू छोटू कह कर
उल्लू क्यों बनाते हो जी!
आ जाएगा बाबा कह कर
हम को क्यों डराते हो जी!