भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उसकी यादों में दिन गुज़र जायें / 'महताब' हैदर नक़वी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उसकी यादों में दिन गुज़र जायें
उम्र यूँ ही तमाम कर जायें

दिल ये कहता है एक और सफ़र
पाँव कहते हैं अपने घर जायें

वो नहीं हैं तो अब रहा क्या है
क्यों न दुनिया से अब मुकर जायें

याद आती है बिछड़े लोगों की
ये शब-ओ-रोज़ कुछ थर जायें

रास्ता, रास्तों ने काट दिया
किसको आवाज़ दें किधर जायें