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उसी रात / अनिरुद्ध उमट

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बरसों तक न सींचा
कीड़ी नगरा

इतना कि कभी-कभी
ख़ुद को
सींचता-सा लगा

मैं नींद की मौत
नहीं मरना चाहता
किया था आर्तनाद
स्वप्न में ख़ुद को
मरते देख

बिला नागा धर्म यह
घर कर गया
मुझ में

एक ही दिन सींच न पाया

उसी रात स्वप्न में
मुझे सींचने आ गईं
सारी चींटियाँ

शब्दार्थ :
(कीड़ी नगरा : चींटियों की बाँबियाँ)