भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कश्मीर हमारा था, कश्मीर हमारा है / अवधेश्वर प्रसाद सिंह

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कश्मीर हमारा था, कश्मीर हमारा है।
जो भूल किया था मैं भूल सुधारा है।।

सब जान गये मतलब तेरे घुसपैठी का।
आतंक फैलाने का मकसद तुम्हारा है।।

कह दो आकाओं को मत पार करे रेखा।
भारत के वीरों ने यह कह ललकारा है।।

सन इकहत्तर को क्यों भूल गये तुम हो।
सब समझ बूझकर ही सेना को उतारा है।।

बन्द करो अब भी पंख को फड़काना।
भाभट अपना समटो तुम तो हत्यारा है।।