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कसौटी. / हरिऔध

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पास खुरचाल पेचपाच कसर।
कुढ़ कपट काटछाँट कीना है।
क्यों करेगा नहीं कमीनापन।
कम कलेजा नहीं कमीना है।

कुछ न है माल सामने उस के।
वह बिना माल मालवाला है।
है उसी में कमाल सब मिलता।
नर-कलेजा कमालवाला है।

हो भरा कूट कूट बोदापन।
हो जमी बैर औ बदी की तह।
हो बुराई बहुत बसी जिस में।
है बुरे से बुरा कलेजा वह।

है कपट से भरा हुआ कपटी।
है भरी काटछाँट भेजे में।
बात में है मिठास मिसरी सी।
गाँस की फाँस है कलेजे में।

है लसी लोक-हित-लहर जिस में।
भक्ति सोते जहाँ रहे हैं वह।
हैं भले भाव के जहाँ झरने।
है भले से भला कलेजा वह।

हो भरा सब कठोरपन जिस में।
संग कहना उसे न बेजा है।
है ठसक, गाँठ, काठपन जिस में।
वह बड़ा ही कठिन कलेजा है।

कर खुटाई बढ़ा बढ़ा खटपट।
प्यार को बेतरह पटकता है।
है खटक खोट नटखटी जिस में।
वह कलेजा बहुत खटकता है।

काहिली, कलकान, कायरपन, कलह।
क्यों न बेबस कर बढ़ा दें बेबसी।
क्यों बचाई जा सकेगी पत बची।
जब कचाई है कलेजे में कसी।

मोह लेते मिला वही मन को।
जो गया है न मोह मद से भर।
काम के काम कर सका कुछ वह।
जो कलेजा सका मकर कम कर।

दूर अनबन वही सकेगा कर।
जो बना रंज का न प्याला है।
क्यों पड़ेगा न मेल का लाला।
जब कलेजा मलालवाला है।

लोभ है तो भली ललक भी है।
मान के साथ मन मगन भी है।
है कसर ही नहीं कलेजे में।
है अगर लाग तो लगन भी है।

मोम है, है समान माखन के।
जोंक है, और नोक नेजा है।
फूल से भी कहीं मुलायम है।
काठ से भी कठिन कलेजा है।

दुख बड़े से बड़े उसी में हैं।
है बड़ा दुख जिन्हें ऍंगेजे में।
एक से एक हैं कड़े पचड़े।
हैं बखेड़े बड़े कलेजे में।

है वही चलता उसी की चल सकी।
जो बना चौचंद, चोखा, चरपरा।
चालवाले को कलेजा चाहिए।
चापलूसी, चाल, चालाकी भरा।

क्यों रहे चैन उस कलेजे में।
क्यों लटे वह न देख गत वहाँ की।
भूत-भय का जहाँ बसेरा है।
है जहाँ पर चुड़ैल चिन्ता की।

है भरा चेटकों चपेटों से।
यह कलेजा उचाटवाला है।
चुस्त है चिड़चिड़ा चटोरा है।
चटपटी चाव चाटवाला है।

क्या नहीं है भला कलेजे में।
ढील है ढीठपन ढला रस है।
है ढचर, हैं ढकोसले उस में।
ढोंग है ढंग ढूँढ ढाढ़स है।

है वही जिस ठौर बैतरनी नदी।
गंग की धारा वहाँ कैसे बहे।
क्या बुरा है जो कलेजे में बुरे।
बैर बदकारी बुराई बू रहे।

है भरा बेहिसाब भोलापन।
है भटक, भेद-भाव दावा है।
और क्या है लचर कलेजे में।
भूल है भय भरम भुलावा है।

जो कलेजे कहे गये छोटे।
क्यों न उनमें रहे छोटाई छल।
बीर के ही बड़े कलेजे में।
है बिनय बीरता बड़ाई बल।

सुख सदा पास रह सका जिस के।
है उसी एक को मिला सरबस।
है कलेजा वही बसे जिस में।
सूरता सादगी सुरुचि साहस।