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काका आरो बुतरू / अमरेन्द्र

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जब ताँय घर में काका छै
मालिक बनलोॅ आका छै
घर में दिल्ली-ढाका छै
खूब कमैलेॅ टाका छै
बुतरू वास्तें फाका छै
खेलवे पर ही डाका छै
बच्है काँटोॅ-कूसोॅ रँ
डर सें बनलोॅ मूसोॅ रँ ।