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कि तू अभियो हमरा चाहइत हतऽ / हम्मर लेहू तोहर देह / भावना

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कि तू अभियो हमरा चाहइत हतऽ।
हम्मर हर बात पर मरइत हतऽ॥

कि अभियो करेजा धड़कइत हओ।
नीन में तू हमरा देखइत हतऽ॥

हम्मर झलक भर पावे के खातिर।
ठिठुड़इत रात में निकलइत हतऽ॥

अप्पन लेहू से लिख क पाती।
तू हम्मर पता पर भेजइत हतऽ॥

हमरा से भेंट के सपना लेले।
वियोग के आग में जरइत हतऽ॥

हमरा दिन के इजोत में देखऽ।
अहिला रात से झगड़ईत हतऽ॥