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कीच सने पाँव / शिवकुटी लाल वर्मा

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कीच सने पाँव क्या सदा भद्दे ही होते हैं ?
कीच क्या सदा बदबू ही देती है ?
किसने आँका है कीच की शक्ति को ?
कीच सने पाँवों ने नाप डाली है अब तक
जाने कितनी धरती ?

लिपट जाती है गीली-गीली
तो या तो
पाँवों से अलग होते-होते
पानी में भी अपनी छाप छोड़ने लगती है
या पाँवों से लिपटी-लिपटी ही
सूख जाती है
जैसे कोई कुरूप-सती नारी

कीचड़ सने नंगे पाँव दौड़ पड़ते हैं प्रभु
किसी भक्त की गुहार पर
कब तक बचेगी मोज़े की नफ़ासत
कीच सने पाँवों से
जबकी हावी होते जा रहे हैं
किसी सर्वव्यापी की तरह लगातार
कीच सने पाँव ।