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कोमल एहसास / आर्थर रैम्बो / मदन पाल सिंह

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जब गर्मी की मोहक साँझ में, पगडण्डी पर चलते-चलते
गेहूँ की बाल चुभन करें, नरम घास पैरों के नीचे कुचले
स्वप्निल मैं महसूस करूँगा, जब ठण्डक पैरों पर छाती
और सुखद हवा मेरे नंगे सिर को, जैसे कोमलता से नहलाती
 
नही बोलूँगा कुछ भी, न ही सोच मैं पाऊँगा
पर दिव्य प्रेम से आत्मा के, दर्शन मैं कर आऊँगा
और चला जाऊँगा बहुत दूर, एक जिप्सी आवारा
प्रकृति के आँचल में सुखी, प्रिया संग उसका प्रेमी प्यारा।

मूल फ़्रांसीसी भाषा से अनुवाद : मदन पाल सिंह