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कोमो झील / मुइसेर येनिया

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मैं ठहरी हुई हूँ अपने भीतर
जैसे अपने बिस्तर पर ठहरी कोई झील

शाम के वक़्त जब घिरने लगता है अँधेरा
तो अपने अस्तित्व को लेकर
मुझे कोई विस्मय नहीं होता ।