भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कोयल / लक्ष्मी खन्ना सुमन

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मीठा गाना गाती कोयल
बन-बन रस छलकाती कोयल

कूह-कूहु के सुंदर स्वर में
मीठी तान सुनाती कोयल

काली-काली देखी भाली
उड़-उड़ आती-जाती कोयल

कौवे के घर पाले बच्चे
उसको खूब छकाती कोयल

मन मतवाली बड़ी निराली
उपवन को चहकाती कोयल

बौर खिले जब आम बगीचे
डाल-डाल हर्षाती कोयल

आओ मिलकर खेलें-गाएँ
सखी को 'सुमन' बुलाती कोयल