भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

क्यौरे निंदभर सोया मुसाफर / सूरदास

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

क्यौरे निंदभर सोया मुसाफर क्यौरे निंदभर सोया ॥ध्रु०॥
मनुजा देहि देवनकु दुर्लभ जन्म अकारन खोया ॥ मुसा०॥१॥
घर दारा जोबन सुत तेरा वामें मन तेरा मोह्या ॥ मुसा०॥२॥
सूरदास प्रभु चलेही पंथकु पिछे नैनूं भरभर रोया ॥ मुसा०॥३॥