भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

खुली खिड़की / शम्भु बादल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तुम्हारी खुली खिड़की से
देश लुट जाए
तुम्हें आनन्द है

तुम्हारी खुली खिड़की से
किसी का घर प्रकाशित हो
तुम्हें क्यों एतराज है ?