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खुशियों के पैगाम / प्रभुदयाल श्रीवास्तव

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आई गलगला से है मौसी,
चाची सदर बाज़ार से।

मामा आए स्कूटर से,
मामी आई कार से।

नहीं पता ये सब क्यों आए,
क्यों आए हैं बिना बुलाए।

क्या रसगुल्ले लेकर आए,
या फिर मुझे चिढ़ाने आए?

दादाजी भी तो आए हैं,
जो कल उठे बुखार से।

कारण क्या है, क्यों यह हलचल,
तेरा जनम दिवस बेटा कल।

शाम तलक नाना आएंगे,
अजब-गजब-सा कुछ लाएंगे।

चक्की वाली बुढ़िया आई,
बुआ के परिवार से।

किरणें उजलीं, धूप सुनहली,
बगिया लाल हरहरी पीली।

कल का दिन मस्ती का होगा,
तेरा जनम दिवस कल होगा।

खुशियों के पैगाम मिलेंगे,
तुमको सब संसार से।