भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

खुश रहे तू सदा / आनंद बख़्शी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
तेरी शादी पे दूँ तुझको तोहफ़ा मैं क्या
पेश करता हूँ दिल एक टूटा हुआ

खुश रहे तू सदा, ये दुआ है मेरी
बेवफ़ा ही सही, दिलरुबा है मेरी
खुश रहे ...

जा मैं तनहा रहूँ, तुझको महफ़िल मिले
डूबने दे मुझे, तुझको साहिल मिले
आज मरज़ी यही, नाख़ुदा है मेरी

उम्र भर ये मेरे दिल को तड़पाएगा
दर्-ए-दिल अब मेरे साथ ही जाएग
मौत ही आख़िरी बस दवा है मेरी