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गळगचिया (26) / कन्हैया लाल सेठिया

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मिनख कयो- उळइयोड़ी जेवड़ी मै तनै सुळझा र थारो कत्तो उपगार करूँ हूँ ! जेवडी बोली- तूं किस्यो क उपगारी है, जको म्हारै स्यूं छानूं कोनी। कोई और नै उळझाणै खातर मन्नै सुळझातो हुसी !