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गीत टीका / राजस्थानी

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हांजी ऊंची ऊंची मेहड़ी अजब झरोखा दिबलो बले ये मजीता।
हांजी जठे पोढ़... रा चावा सायधण ढोल बायरो।
हांजी ढोला ढुलावत यूं उठ बोल्या एक अरज म्हारी सुणज्यो।
हांजी देवर जिठाण्या रे टीको कहीजे मोहे टीका रो चावो।
हांजी देवर जिठाण्या बेटो जायो थे घण जाई घीयड़।
हांजी होइ खईजे होड पहरीजे ऐ होडां नहीं होवे।
हांजी लंकापुर को सोने मंगायो रूपनगर को रूपो।
हांजी पाटनपुर को पटवो बुलावो सीर समन्दर को मोती।
हांजी जड़ियापुर को जड़िया बुलावो टीको बैठ घड़ायो।
हांजी घड़ियो जी घड़ायो पाट पुवायो ओल्यो सायधण टीको।
हांजी टीको किस विध चेढू ओ केसरिया टीका रो खरच घणेरो।
हांजी काठा गेवां की घूघरी रधांवो बाज्या गेवां की लापसी।
हांजी हरिया बांस को छाबुल्यो मंगावो दरियाई को नातणो
हांजी देवर जिठाण्या बेग बुलावो टीका रा मंगल गाज्यो।
हांजी सासू की जाई म्हारी नणद बुलावो जेठसा की जाई जेठूती।
हांजी नाई की बेटी म्हारे बेग बुलावो नगर बटावो घूघरी।
हांजी बांटत बांटत नगर जो ढूंढयो घर सासूजी को भूली।
हांजी ताता पानी तुरंत करावो मल मल माथो न्हावो
हांजी चार जण्या मिल चद्यो सवांर्यो सोलह मिल-मिल गूथ्यो।
हांजी पाटी पाड़ी मांग सवारी अध बिच चेढ्यो टीको।
हांजी सेर मिठाई पांच रूपैया घर सासूजी के चाली।
हांजी सासूजी के पांव पड़ंता बाईसा मुखड़ो मोड्यो।
हांजी कांई ये भावज थांको बाप घड़ायो कांई नांदेरा से आयो।
हांजी सुसराजी कमायो म्हारा सासूजी री संच्यो बाईसा का बीर घड़ायो।
हांजी बलता झलता महल पधार्या ओल्यो केसरियो थांको टीको।
हांजी माय तुम्हारी बहन तुम्हारी चावत करत हमारी।
हांजी माय बहन म्हारी भोली ढाली थे छो नार दुतांली।