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गीत मेरे / शिवदेव शर्मा 'पथिक'

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बेबसी के गीत मेरे...
तुम बनोगे मीत मेरे !

आँसुओ ने लिख दिये इतिहास कितने,
गीत में खोये हुए है आस कितने,
साधना के दीप जो मैंने जलाये,
वे जले या प्राण जलकर मुस्कुराये

दर्द के संगीत मेरे
तुम बनोगे मीत मेरे

मीत मेरे! जागरण को तुम बुला लो,
आज कवि को छाँह में अपनी सुला लो,
गीत की गंगा बही है ! जग नहा लो,
गीत के गागर महासागर पचा लो,

लू-लपट रणजीत मेरे...
तुम बनोगे मीत मेरे !

वेदना के गान बनकर छा उठे जो,
कब्र पर मुस्कान बन कर गा उठे जो,
तोड़ जब पाषाण निर्झर-गान होता,
गीत का तब नाम नव-उत्थान होता,

जिन्दगी के गीत मेरे ...
तुम बनोगे मीत मेरे !

गीत मेरे!