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गुड़ियाघर / श्रीप्रसाद

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आज गया मैं गुड़ियाघर में
देखीं गुड़ियाँ अनगिनती
कोई गुड़िया खेल रही थी
कोई थी स्वेटर बिनती

गुड़िया एक लिये थी पुस्तक
बैठी पढ़ती जाती थी
एक बड़ी-सी गुड़िया जो थी
उसको वही पढ़ाती थी

गुड़िया एक नाचती छमछम
एक गा रही थी गाना
गुड़िया एक बेलती रोटी
पका रही थी वह खाना

गुड़िया एक हँसे जाती थी
जाने उसने पाया क्या
कुछ तो बात हुई ही होगी
रसगुल्ला था खाया क्या

आई एक सब्जियाँ लेकर
एक पढ़ाकर आई थी
सुंदर-सुंदर कई खिलौने
एक कहीं से लाई थी

गुड़ियाघर गुड़ियों का घर था
दुनिया थी यह गुड़ियों की
नन्ही गुड़ियाँ और बड़ी कुछ
बच्चों बूढ़ों बुढ़ियों की

देखीं घूम-घूमकर गुड़ियाँ
वह देखी जो बैठी थी
वह देखी जो गुस्साई थी
वह देखी जो ऐंठी थी

गुड़ियाँ चीजें बेच रही थीं
गुड़ियाँ चीजें लेती थीं
कपड़ा हो, किताब हो, कुछ भी
गुड़ियाँ पैसे देती थीं

कुछ गुड़ियाँ साड़ी पहने थीं
कुछ पाजामे पहन खड़ी
कुछ गुड़ियाँ नन्ही-नन्ही थीं
कुछ गुड़ियाँ थीं बड़ी-बड़ी

कोई थी साँवले रंग की
कोई गुड़िया गोरी थी
कोई सुंदर, कोई गुड़िया
छैल छबीली छोरी थी

कोई बस्ता लेकर जाती
कोई पढ़कर आती थी
कोई पीती दूध गटागट
कोई खाना खाती थी

गुड़िया एक लड़ाकू भी थी
बाकी गुड़ियाँ भोली थीं
ये भोलीभाली सब गुड़ियाँ
आपस में हमजोली थीं

दो गुड़ियाँ थीं बनी सिपाही
दो बैठी थीं अफसर बन
थानेदार बनीं दो गुड़ियाँ
गोली छोड़ रहीं दन-दन

नानी एक, एक दादी थी
इनकी अपनी बेटी थी
नानी की बेटी की बेटी
एक पलँग पर लेटी थी

जो गुड़िया आलस करती थी
सजा तुरत पा जाती थी
मेहनत करती थी जो गुड़िया
अच्छा खाना खाती थी

जा-जाकर के यहाँ-वहाँ पर
मैंने देखा गुड़ियाघर
तरह-तरह की गुड़ियों में ही
रहा घूमता मैं दिन भर।