भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गुड़िया क बियाह / एस. मनोज

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

गुड़ियाक हम बियाह रचैबै
ढोलक पिपही खूब बजैबै

दीदी, काकी ,मामी अयथिन
बिद्ध बिद्ध कें गीतक गयथिन

सभ मिलिकें मटकोरा करबै
आम महुआक बियाह रचैबै

गुड्डा बनतै दुल्हा राजा
नाच गान अंगरेजी बाजा

दुअरिलग्गी वरमाला होयतै
परिछन बाला गीतक गयतै

भोज भात भंडारा होयतै
टोल पड़ोसक सभ मिलि खयतै

राति भरिमे शादी होयतै
भिनसर गुड़िया सासुर जयतै