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गुण कितने हैं केले में / मधुसूदन साहा

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हर मौसम में मिलने वाले
गुण कितने हैं केले में।

अलग-अलग डाली पर फलना
इनको नहीं सुहाता है,
एक साथ मिलकर रहना ही
हरदम इनको भाता हैं,
चाहे जहाँ पके हो केले
मिलते नहीं अकेले में।

कचके-पक्के हर हालत में
काम सभी के आते हैं
जिन्हें पेट की हुई खराबी
उनका रोग भगाते हैं,
हर मौसम हर पल मिलते
सभी मोड पर ठेले में।

नरम-नरम हैं केले, लेकिन
तन में ताकत भरते हैं,
पीले-पीले हैं, पर सब के
पीलेपन को हरते हैं
सभी जगह मिलते हैं केले
हाट-बाट औ' मेले में।

खाकर कभी नहीं तुम फेंको
छिलके सदको के ऊपर,
अगर पैर पड़ गया भूल से
धम्म गिरोगे तुम भूपर,
थोड़ी-सी गलती से भी हम
पड़ते बड़े झमेले में।