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गोदनमाँ रे जान / ब्रह्मदेव कुमार

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भौजी-गोरे-गोरे बहियाँ गे लीलिया, कारे शोभौ गोदनमां रे जान।
जान, गोदना रे देखी, लोभैलको तोरा मोहना रे जान॥
लीलिया-श्याम सुरतिया मीठी-मीठी बतिया, मोहे मधुर मुस्कनियां रे जान।
जान, बसिया सेॅ रही-रही छेड़ै तान सुहनियाँ रे जान॥

भौजी-काम न काज, न लोक न लाज, वन-वन चराबै गैया रे जान।
जान, माखन चोर चोराबै चीर कन्हैया रे जान॥
लीलिया-खेल-खेल मेॅ, हँसी-हँसी मेॅ, बुझाबै ज्ञान के बतिया रे जान।
जान, मुख पर चमकै तेज, लुभावै अंखिया रे जान॥

भौजी-मैयों तोरा बरजौ गे लीलिया, भैयों तोरा समझाबै रे जान।
जान, छोड़ी रे दहिं मोहना केरोॅ संगतियौ रे जान॥
लीलिया-जनमों मोरा जैतै चाहे, परणमों मोरा जैतै रे जान।
जान, तैय्यो नै छोड़बै, मोहनां केरोॅ संगतियोॅ रे जान॥

भौजी-बापौं तोरा मारतौ गे लीलिया, गाड़तौ यमुना किनारियौ रे जान।
जान, तेजि रे दहिं, मोहनां संग पीरितियौ रे जान॥
लीलिया-एक जनम कि सात जनम कि, चाहे सौ जनमियां रे जान।
जान, तैय्यो नैं तेजबै मोहनां संग पीरितियौ रे जान॥

भौजी-मोहना लेली सजली गे लीलिया आठो बरन गहनमां रे जान।
जान, छम-छम लीलिया नाचै सगरे अंगनमां रे जान॥
लीलिया-हँसतै-दूसतै ताना मारतै दूर-दूर करतै जमनमां रे जान।
जान, जनम-जनम सेॅ संग-संग मोहना रे जान॥